ध्यान की आवश्यकता
आज की दुनिया में जीवन इतना तेज़, व्यस्त और यांत्रिक (Mechanical) हो गया है कि इंसान केवल काम करने वाली मशीन जैसा हो गया है। सुबह से शाम तक भागदौड़, दबाव, प्रतिस्पर्धा, सफलता और असफलता का चक्र हमें भीतर से खोखला करता जा रहा है। तकनीक और अब आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) ने जीवन को आसान तो बना दिया है, लेकिन साथ ही इंसान के भीतर की शांति, प्रेम और चेतना को धीरे-धीरे कम भी कर दिया है।
इसी दौर में ओशो का संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो जाता है।
क्यों ज़रूरी है ध्यान?
ओशो कहते हैं –
"ध्यान केवल कोई तकनीक नहीं है, यह जीवन की गुणवत्ता बदलने की कला है।"
आज हर व्यक्ति बाहर की दुनिया में व्यस्त है लेकिन भीतर की यात्रा को भूल चुका है। जितना समय हम मोबाइल, कंप्यूटर और AI टूल्स को देते हैं, उतना ही अगर हम अपनी आंतरिक चेतना को दें, तो जीवन का स्वरूप ही बदल जाएगा।
ध्यान हमें यह सिखाता है कि –
- हम केवल मशीन नहीं हैं,
- हमारा जीवन केवल काम और जिम्मेदारियों तक सीमित नहीं है,
- हमारे भीतर एक असीम शांति और आनंद का स्रोत है।
AI के युग में ध्यान की प्रासंगिकता
AI इंसान का काम तो कर सकता है, लेकिन संवेदनशीलता, करुणा, प्रेम और आत्मचेतना नहीं ला सकता।
- AI आपकी सुविधा बढ़ा सकता है, लेकिन आपको ज़िंदा और सचेत नहीं बना सकता।
- भविष्य का समय और भी अधिक व्यस्त, प्रतिस्पर्धी और तनावपूर्ण होगा।
- ऐसे समय में केवल ध्यान ही वह उपाय है जो इंसान को उसकी मूल चेतना से जोड़ सकता है।
ओशो का योगदान
ओशो ने ध्यान को केवल साधना की विधि नहीं बनाया, बल्कि उन्होंने उसे दैनिक जीवन जीने का तरीका बना दिया।
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उन्होंने सैकड़ों ध्यान विधियाँ दीं, ताकि हर व्यक्ति अपनी प्रवृत्ति के अनुसार ध्यान में प्रवेश कर सके।
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ओशो ने यह भी बताया कि ध्यान कोई पलायन नहीं, बल्कि जीवन की गहराई में उतरने का साधन है।
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उनका कहना था कि भविष्य का इंसान वही होगा जो ध्यानशील (Meditative) होगा, अन्यथा वह मशीनों से हार जाएगा।
हमें क्या करना चाहिए?
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रोज़ कुछ समय अपने लिए, अपने भीतर के लिए निकालें।
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केवल ध्यान की तकनीक ही नहीं, बल्कि सचेत जीवनशैली अपनाएँ।
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ओशो के संदेशों और ध्यान विधियों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएँ।
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तकनीक और AI का उपयोग करें, लेकिन उसे अपना मालिक न बनने दें।
निष्कर्ष
आज का समय ध्यान की माँग कर रहा है।
यदि इंसान ने ध्यान को अपनाया, तो वह तकनीक और AI का मालिक बना रहेगा।
यदि ध्यान को भुला दिया, तो इंसान केवल मशीन बन जाएगा।
ओशो हमें याद दिलाते हैं कि –
“भविष्य का धर्म ध्यान होगा। जो ध्यानशील है, वही भविष्य का इंसान है।”
इसलिए ध्यान केवल आज के लिए ही नहीं, बल्कि भविष्य के अस्तित्व की आवश्यकता है।